अली सरदार जाफ़री कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का अली सरदार जाफ़री (page 5)
नाम | अली सरदार जाफ़री |
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अंग्रेज़ी नाम | Ali Sardar Jafri |
जन्म की तारीख | 1913 |
मौत की तिथि | 2000 |
जन्म स्थान | Mumbai |
वही हुस्न-ए-यार में है वही लाला-ज़ार में है
वही है वहशत वही है नफ़रत आख़िर इस का क्या है सबब
उलझे काँटों से कि खेले गुल-ए-तर से पहले
तुम्हारे ए'जाज़-ए-हुस्न की मेरे दिल पे लाखों इनायतें हैं
तख़्लीक़ पे फ़ितरत की गुज़रता है गुमाँ और
सुब्ह हर उजाले पे रात का गुमाँ क्यूँ है
सितारों के पयाम आए बहारों के सलाम आए
शम्अ' का मय का शफ़क़-ज़ार का गुलज़ार का रंग
शाख़-ए-गुल है कि ये तलवार खिंची है यारो
शिकस्त-ए-शौक़ को तकमील-ए-आरज़ू कहिए
शबों की ज़ुल्फ़ की रू-ए-सहर की ख़ैर मनाओ
सर्द हैं दिल आतिश-ए-रू-ए-निगाराँ चाहिए
नग़्मा-ए-ज़ंजीर है और शहर-ए-याराँ इन दिनों
मौसम-ए-रंग भी है फ़स्ल-ए-ख़िज़ाँ भी तारी
मस्ती-ए-रिंदाना हम सैराबी-ए-मय-ख़ाना हम
मैं जहाँ तुम को बुलाता हूँ वहाँ तक आओ
लू के मौसम में बहारों की हवा माँगते हैं
लग़्ज़िश-ए-गाम लिए लग़्ज़िश-ए-मस्ताना लिए
कितनी आशाओं की लाशें सूखें दिल के आँगन में
खुले हैं मश्रिक-ओ-मग़रिब की गोद में गुलज़ार
ख़ूगर-ए-रू-ए-ख़ुश-जमाल हैं हम
ख़िरद वालो जुनूँ वालों के वीरानों में आ जाओ
कभी ख़ंदाँ कभी गिर्यां कभी रक़सा चलिए
काम अब कोई न आएगा बस इक दिल के सिवा
इत्र-ए-फ़िरदौस-ए-जवाँ में ये बसाए हुए होंट
इश्क़ का नग़्मा जुनूँ के साज़ पर गाते हैं हम
हम जो महफ़िल में तिरी सीना-फ़िगार आते हैं
फ़स्ल-ए-गुल फ़स्ल-ए-ख़िज़ाँ जो भी हो ख़ुश-दिल रहिए
फ़रोग़-ए-दीदा-ओ-दिल लाला-ए-सहर की तरह
फ़रोग़-ए-दीदा-ओ-दिल लाला-ए-सहर की तरह