Ghazals of Alok Yadav
नाम | आलोक यादव |
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अंग्रेज़ी नाम | Alok Yadav |
जन्म की तारीख | 1967 |
जन्म स्थान | Delhi |
कविताएं
Ghazal 13
Couplets 12
Love 15
Sad 6
Heart Broken 10
Hope 4
Friendship 3
Islamic 2
देशभक्तिपूर्ण 1
बारिश 1
ख्वाब 3
Sharab 2
यहाँ हो रहीं हैं वहाँ हो रहीं हैं
सरापा तिरा क्या क़यामत नहीं है?
सब्ज़ है पैरहन चाँद का आज फिर
रक़ाबत क्यूँ है तुम को आसमाँ से
मिरी क़ुर्बतों की ख़ातिर यूँही बे-क़रार होता
खुला है ज़ीस्त का इक ख़ुशनुमा वरक़ फिर से
जो भी सूखे गुल किताबों में मिले अच्छे लगे
गुलों की गर इनायत हो गई तो
इक ज़रा सी चाह में जिस रोज़ बिक जाता हूँ मैं
भटका करूँगा कब तक राहों में तेरी आ कर
भरे जो ज़ख़्म तो दाग़ों से क्यूँ उलझें?
बाज़ ख़त पुर-असर भी होते हैं
अंजुमन में जो मिरी इतनी ज़िया है साहब