Ghazals of Alok Yadav

Ghazals of Alok Yadav
नामआलोक यादव
अंग्रेज़ी नामAlok Yadav
जन्म की तारीख1967
जन्म स्थानDelhi

यहाँ हो रहीं हैं वहाँ हो रहीं हैं

सरापा तिरा क्या क़यामत नहीं है?

सब्ज़ है पैरहन चाँद का आज फिर

रक़ाबत क्यूँ है तुम को आसमाँ से

मिरी क़ुर्बतों की ख़ातिर यूँही बे-क़रार होता

खुला है ज़ीस्त का इक ख़ुशनुमा वरक़ फिर से

जो भी सूखे गुल किताबों में मिले अच्छे लगे

गुलों की गर इनायत हो गई तो

इक ज़रा सी चाह में जिस रोज़ बिक जाता हूँ मैं

भटका करूँगा कब तक राहों में तेरी आ कर

भरे जो ज़ख़्म तो दाग़ों से क्यूँ उलझें?

बाज़ ख़त पुर-असर भी होते हैं

अंजुमन में जो मिरी इतनी ज़िया है साहब

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