मुझे कर के चुप कोई कहता है हँस कर
उन्हें बात करने की आदत नहीं है
Mir Taqi Mir
Anwar Masood
Faiz Ahmad Faiz
Jaun Eliya
Gulzar
Ahmad Faraz
Rahat Indori
Habib Jalib
Javed Akhtar
Wasi Shah
Mohsin Naqvi
Parveen Shakir
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(789) Peoples Rate This
मोहब्बत फ़र्क़ खो देती है आ'ला और अदना का
जुनूँ का दौर है किस किस को जाएँ समझाने
अश्क-ए-ग़म-ए-उल्फ़त में इक राज़-ए-निहानी है
निगाह-ओ-दिल का अफ़्साना क़रीब-ए-इख़्तिताम आया
उस इक नज़र के बज़्म में क़िस्से बने हज़ार
सर-ए-महशर यही पूछूँगा ख़ुदा से पहले
एक इक लम्हे में जब सदियों की सदियाँ कट गईं
ख़ून-ए-जिगर के क़तरे और अश्क बन के टपकें
अब और इस के सिवा चाहते हो क्या 'मुल्ला'
मुख़्तसर अपनी हदीस-ए-ज़ीस्त ये है इश्क़ में
भूले से भी लब पर सुख़न अपना नहीं आता