जुनूँ का दौर है किस किस को जाएँ समझाने
जुनूँ का दौर है किस किस को जाएँ समझाने
उधर भी होश के दुश्मन इधर भी दीवाने
करम करम है तो है फ़ैज़-ए-आम इस का शिआ'र
ये दश्त है वो गुलिस्ताँ सहाब क्या जाने
किसी में दम नहीं अहल-ए-सितम से कुछ भी कहे
सितम-ज़दों को हर इक आ रहा है समझाने
बशर के ज़ौक़-ए-परस्तिश ने ख़ुद किए तख़्लीक़
ख़ुदा-ओ-का'बा कहीं और कहीं सनम-ख़ाने
उलझ के रह गई हुस्न-ए-नक़ाब में जो नज़र
वो हुस्न-ए-जल्वा-ए-ज़ेर-ए-नक़ाब क्या जाने
इस इर्तिक़ा-ए-तमद्दुन को क्या कहूँ 'मुल्ला'
हैं शमएँ शोख़-तर आवारा-तर हैं परवाने
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