Sharab Poetry of Arzoo Lakhnavi

Sharab Poetry of Arzoo Lakhnavi
नामआरज़ू लखनवी
अंग्रेज़ी नामArzoo Lakhnavi
जन्म की तारीख1873
मौत की तिथि1951
जन्म स्थानKarachi

हाथ से किस ने साग़र पटका मौसम की बे-कैफ़ी पर

हर टूटे हुए दिल की ढारस है तिरा वअ'दा

'आरज़ू' जाम लो झिजक कैसी

वो बन कर बे-ज़बाँ लेने को बैठे हैं ज़बाँ मुझ से

पियूँ ही क्यूँ जो बुरा जानूँ और छुपा के पियूँ

नज़र उस चश्म पे है जाम लिए बैठा हूँ

मुझ को दिल क़िस्मत ने उस को हुस्न-ए-ग़ारत-गर दिया

कहीं सर पटकते दीवाने कहीं पर झुलसते परवाने

जितना था सरगर्म-ए-कार उतना ही दिल नाकाम था

हुस्न से शरह हुई इश्क़ के अफ़्साने की

हर साँस है इक नग़्मा हर नग़्मा है मस्ताना

अव्वल-ए-शब वो बज़्म की रौनक़ शम्अ' भी थी परवाना भी

ऐ मिरे ज़ख़्म-ए-दिल-नवाज़ ग़म को ख़ुशी बनाए जा

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