जुगनू मियाँ की दुम जो चमकती है रात को
सब देख देख उस को बजाते हैं तालियाँ
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बहार आई है सोते को टुक जगा देना
मुझ से जो पूछते हो तो हर हाल शुक्र है
उठ चुका दिल मिरा ज़माने से
हरगिज़ मिरा वहशी न हुआ राम किसी का
देखिए ख़ाक में मजनूँ की असर है कि नहीं
अगर आशिक़ कोई पैदा न होता
डरता हूँ मोहब्बत में मिरा नाम न होवे
दिल धड़कता है कि तू यार है सौदाई का
ऐ शैख़ अगर कुफ़्र से इस्लाम जुदा है
ख़ून आँखों से निकलता ही रहा
कब दर्द से दिल को ताब आया