मुझ से जो पूछते हो तो हर हाल शुक्र है
यूँ भी गुज़र गई मिरी वूँ भी गुज़र गई
Habib Jalib
Parveen Shakir
Ahmad Faraz
Faiz Ahmad Faiz
Rahat Indori
Mohsin Naqvi
Gulzar
Mir Taqi Mir
Anwar Masood
Wasi Shah
Jaun Eliya
Javed Akhtar
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(752) Peoples Rate This
कब दर्द से दिल को ताब आया
डरता हूँ मोहब्बत में मिरा नाम न होवे
उठ चुका दिल मिरा ज़माने से
आलम में अगर इश्क़ का बाज़ार न होता
अक्स भी कब शब-ए-हिज्राँ का तमाशाई है
अगर आशिक़ कोई पैदा न होता
बहार आई है सोते को टुक जगा देना
देखिए ख़ाक में मजनूँ की असर है कि नहीं
ख़ून आँखों से निकलता ही रहा
अबस अबस तुझे मुझ से हिजाब आता है
बस-कि दीदार तिरा जल्वा-ए-क़ुद्दूसी है
दिल-बस्तगी क़फ़स से यहाँ तक हुई मुझे