अपने लिए ही मुश्किल है
इज़्ज़त से जी पाना भी
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ये अपनी बेबसी है या कि अपनी बे-हिसी यारो
फूल जो दिल की रहगुज़र में है
कुछ ज़िंदगी में इश्क़-ओ-वफ़ा का हुनर भी रख
घर से बाहर निकल कर
अच्छाई से नाता जोड़ वर्ना फिर पछताएगा
दुनिया के जंजाल न पूछ
घुट घुट कर मर जाना भी
हमारी मुफ़्लिसी आवारगी पे तुम को हैरत क्यूँ
हम उस को भूल बैठे हैं अँधेरे हम पे तारी हैं