Ghazals of Azm Shakri

Ghazals of Azm Shakri
नामअज़्म शाकरी
अंग्रेज़ी नामAzm Shakri

सारी रात के बिखरे हुए शीराज़े पर रक्खी हैं

सुकूत उस का है सब्र-ए-जमील की सूरत

ये मत कहो कि भीड़ में तन्हा खड़ा हूँ मैं

तीरगी में सुब्ह की तनवीर बन जाएँगे हम

शब की आग़ोश में महताब उतारा उस ने

ख़ून आँसू बन गया आँखों में भर जाने के ब'अद

ख़ाक उड़ाते हुए ये म'अरका सर करना है

घर में चाँदी के कोई सोने के दर रख जाएगा

दरीदा-पैरहनों में शुमार हम भी हैं

चाँद सा चेहरा कुछ इतना बेबाक हुआ

अपने दुख-दर्द का अफ़्साना बना लाया हूँ

अजीब हालत है जिस्म-ओ-जाँ की हज़ार पहलू बदल रहा हूँ

अगर दश्त-ए-तलब से दश्त-ए-इम्कानी में आ जाते

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