Ghazals of Azm Shakri
नाम | अज़्म शाकरी |
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अंग्रेज़ी नाम | Azm Shakri |
कविताएं
Ghazal 13
Couplets 12
Love 11
Sad 13
Heart Broken 15
Bewafa 2
Hope 4
Friendship 1
Islamic 1
Sufi 3
ख्वाब 5
Sharab 1
सारी रात के बिखरे हुए शीराज़े पर रक्खी हैं
सुकूत उस का है सब्र-ए-जमील की सूरत
ये मत कहो कि भीड़ में तन्हा खड़ा हूँ मैं
तीरगी में सुब्ह की तनवीर बन जाएँगे हम
शब की आग़ोश में महताब उतारा उस ने
ख़ून आँसू बन गया आँखों में भर जाने के ब'अद
ख़ाक उड़ाते हुए ये म'अरका सर करना है
घर में चाँदी के कोई सोने के दर रख जाएगा
दरीदा-पैरहनों में शुमार हम भी हैं
चाँद सा चेहरा कुछ इतना बेबाक हुआ
अपने दुख-दर्द का अफ़्साना बना लाया हूँ
अजीब हालत है जिस्म-ओ-जाँ की हज़ार पहलू बदल रहा हूँ
अगर दश्त-ए-तलब से दश्त-ए-इम्कानी में आ जाते