तुझ को देखा तिरे वादे देखे
ऊँची दीवार के लम्बे साए
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वो अंधेरा है जिधर जाते हैं हम
एतिबार-ए-नज़र करें कैसे
एक पल में वहाँ से हम उट्ठे
सुब्ह का भेद मिला क्या हम को
यूँ भी होने का पता देते हैं
ख़बर कुछ ऐसी उड़ाई किसी ने गाँव में
क्या पता हम को मिला है अपना
तेरी हर बात पे चुप रहते हैं
हाए वो बातें जो कह सकते नहीं
तुम कब थे क़रीब इतने मैं कब दूर रहा हूँ
वक़्त के पास हैं कुछ तस्वीरें
तिरी निगाह का अंदाज़ क्या नज़र आया