तेरी हर बात पे चुप रहते हैं
हम सा पत्थर भी कोई क्या होगा
Allama Iqbal
Parveen Shakir
Wasi Shah
Anwar Masood
Gulzar
Faiz Ahmad Faiz
Mir Taqi Mir
Mohsin Naqvi
Habib Jalib
Javed Akhtar
Ahmad Faraz
Rahat Indori
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(946) Peoples Rate This
बंद कलियों की अदा कहती है
दोस्त हर ऐब छुपा लेते हैं
दोस्ती ख़ून-ए-जिगर चाहती है
दुनिया ने हर बात में क्या क्या रंग भरे
इस बदलते हुए ज़माने में
क्या पता हम को मिला है अपना
सुब्ह का भेद मिला क्या हम को
कहता है हर मकीं से मकाँ बोलते रहो
मरहला दिल का न तस्ख़ीर हुआ
अपनी धूप में भी कुछ जल
दाग़-ए-दिल हम को याद आने लगे
ज़िंदगी की बिसात पर 'बाक़ी'