वक़्त के पास हैं कुछ तस्वीरें
कोई डूबा है कि उभरा देखो
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वो अंधेरा है जिधर जाते हैं हम
दोस्ती ख़ून-ए-जिगर चाहती है
कुछ न पा कर भी मुतमइन हैं हम
मरहले ज़ीस्त के आसान हुए
अपनी धूप में भी कुछ जल
हाए वो बातें जो कह सकते नहीं
कान पड़ती नहीं आवाज़ कोई
ख़ुद-फ़रेबी सी ख़ुद-फ़रेबी है
राज़-ए-सर-बस्ता है महफ़िल तेरी
दिल जिंस-ए-मोहब्बत का ख़रीदार नहीं है
यही रस्ता है अब यही मंज़िल