अदाएँ देखने बैठे हो क्या आईने में अपनी
दिया है जिस ने तुम जैसे को दिल उस का जिगर देखो
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मुँह फेर कर वो कहते हैं बस मान जाइए
बेचने आए कोई क्या दिल-ए-शैदा ले कर
क़यामत है जो ऐसे पर दिल-ए-उम्मीद-वार आए
नामा-बर ये तो कही बात पते की तू ने
शम-ए-मज़ार थी न कोई सोगवार था
माशूक़ हमें बात का पूरा नहीं मिलता
हुआ जो वक़्फ़-ए-ग़म वो दिल किसी का हो नहीं सकता
जादू है या तिलिस्म तुम्हारी ज़बान में
'बेख़ुद' ज़रूर रात को सोए हो पी के तुम
जवाब सोच के वो दिल में मुस्कुराते हैं
हज़रत-ए-दिल ये इश्क़ है दर्द से कसमसाए क्यूँ
चलने की नहीं आज कोई घात किसी की