थोड़ी मय नज़्र-ए-जाम कर दीजे
थोड़ी मय नज़्र-ए-जाम कर दीजे
हम ग़रीबों की शाम कर दीजे
और उठा कर नक़ाब चेहरे से
बज़्म में क़त्ल-ए-आम कर दीजे
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थोड़ी मय नज़्र-ए-जाम कर दीजे
हम ग़रीबों की शाम कर दीजे
और उठा कर नक़ाब चेहरे से
बज़्म में क़त्ल-ए-आम कर दीजे
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