रजब अली बेग सुरूर कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का रजब अली बेग सुरूर

रजब अली बेग सुरूर कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का रजब अली बेग सुरूर
नामरजब अली बेग सुरूर
अंग्रेज़ी नामRajab Ali Beg Suroor
जन्म की तारीख1785
मौत की तिथि1869
जन्म स्थानLucknow

नादान कह रहे हैं जिसे आफ़्ताब-ए-हश्र

न पहुँचा गोश तक इक तेरे हैहात

लाज़िम है सोज़-ए-इश्क़ का शो'ला अयाँ न हो

क्या यही थी शर्त कुछ इंसाफ़ की ऐ तुंद-ख़ू

दम-ए-तकफ़ीन भी गर यार आवे

अब है दुआ ये अपनी हर शाम हर सहर को

यूँ जो ढूँडो तो यहाँ शहर में अन्क़ा निकले

तर्क जिस दिन से किया हम ने शकेबाई का

क़ुरआँ किताब है रुख़-ए-जानाँ के सामने

नासेहा फ़ाएदा क्या है तुझे बहकाने से

मरीज़-ए-हिज्र को सेहत से अब तो काम नहीं

लाज़िम है सोज़-ए-इश्क़ का शोला अयाँ न हो

क्या ग़ज़ब है कि चार आँखों में

किस तरह पर ऐसे बद-ख़ू से सफ़ाई कीजिए

करूँ शिकवा न क्यूँ चर्ख़-ए-कुहन से

इस तरह आह कल हम उस अंजुमन से निकले

फ़स्ल-ए-गुल में जो कोई शाख़-ए-सनोबर तोड़े

अभी से मत कहो दिल का ख़लल जावे तो बेहतर है

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