यूँ जगमगा उठा है तिरी याद से वजूद
जैसे लहू से कोई सितारा गुज़र गया
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मुझे कौन बुलाता रहता है
सब खेल-तमाशा ख़त्म हुआ
ज़िंदगी अब तू मुझे और खिलौने ला दे
दिल-ए-तबाह को अब तक नहीं यक़ीं आया
कोई भी रस्ता किसी सम्त को नहीं जाता
तमाम उम्र हवा की तरह गुज़ारी है
तेरी गली के मोड़ पे पहुँचे थे जल्द हम
हुस्न अल्फ़ाज़ के पैकर में अगर आ सकता
हमारे शजरे बिखर गए हैं
बस एक बार वो आया था सैर करने को
धुँद में डूबी सारी फ़ज़ा थी उस के बाल भी गीले थे