नौहा

मुझ को शिकवा है मिरे भाई कि तुम जाते हुए

ले गए साथ मिरी उम्र-ए-गुज़िश्ता की किताब

इस में तो मेरी बहुत क़ीमती तस्वीरें थीं

इस में बचपन था मिरा और मिरा अहद-ए-शबाब

इस के बदले मुझे तुम दे गए जाते जाते

अपने ग़म का ये दमकता हुआ ख़ूँ-रंग गुलाब

क्या करूँ भाई ये एज़ाज़ में क्यूँ-कर पहनूँ

मुझ से ले लो मिरी सब चाक क़मीसों का हिसाब

आख़िरी बार है लो मान लो इक ये भी सवाल

आज तक तुम से मैं लौटा नहीं मायूस-ए-जवाब

आ के ले जाओ तुम अपना ये दमकता हुआ फूल

मुझ को लौटा दो मिरी उम्र-ए-गुज़िश्ता की किताब

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Nauha In Hindi By Famous Poet Faiz Ahmad Faiz. Nauha is written by Faiz Ahmad Faiz. Complete Poem Nauha in Hindi by Faiz Ahmad Faiz. Download free Nauha Poem for Youth in PDF. Nauha is a Poem on Inspiration for young students. Share Nauha with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.