ख़ला में गिरवी रक्खा अपने सारे ख़्वाबों को
और इस ज़मीन पे छोटा सा घर लिया मैं ने
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आँखें बुझ जाएँगी शोला रह जाएगा
तेरी ही सैर के लिए आता रहूँगा बार बार
बहुत क़दीम नहीं कल का वाक़िआ है ये
मैं अपनी ख़ुशियाँ अकेले मनाया करता हूँ
बस यही सोच के रहता हूँ मैं ज़िंदा इस में
तेरा बोसा ऐसा प्याला है जिस में से
मिला रहा हूँ तिरा हुस्न काएनात के साथ
अपने ख़ला में ला कि ये तुम को दिखा रहा हूँ मैं
बहुत सा काम तो पहले ही कर लिया मैं ने
मिरे वजूद को मौजूदगी दिखाती थी
जिस परी पर मर मिटे थे वो परी-ज़ादी न थी