फ़ना बुलंदशहरी कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का फ़ना बुलंदशहरी (page 2)

फ़ना बुलंदशहरी कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का फ़ना बुलंदशहरी (page 2)
नामफ़ना बुलंदशहरी
अंग्रेज़ी नामFana Bulandshahri

हुस्न-ए-बुताँ का इश्क़ मेरी जान हो गया

हरम है क्या चीज़ दैर क्या है किसी पे मेरी नज़र नहीं है

हर घड़ी पेश-ए-नज़र इश्क़ में क्या क्या न रहा

हाँ वही इश्क़-ओ-मोहब्बत की जिला होती है

है वज्ह कोई ख़ास मिरी आँख जो नम है

ग़म-ए-दुनिया ग़म-ए-हस्ती ग़म-ए-उल्फ़त ग़म-ए-दिल

दुनिया के हर ख़याल से बेगाना कर दिया

दिल बुतों पे निसार करते हैं

बा-होश वही हैं दीवाने उल्फ़त में जो ऐसा करते हैं

अँधेरे लाख छा जाएँ उजाला कम नहीं होता

ऐ सनम तुझ को हम भुला न सके

ऐ सनम देर न कर अंजुमन-आरा हो जा

अब तसव्वुर में हरम है न सनम-ख़ाना है

आँखों में नमी आई चेहरे पे मलाल आया

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