हज़ार ढूँडिए उस का निशाँ नहीं मिलता
जबीं मिले तो मिले आस्ताँ नहीं मिलता
Allama Iqbal
Rahat Indori
Anwar Masood
Faiz Ahmad Faiz
Ahmad Faraz
Gulzar
Parveen Shakir
Wasi Shah
Habib Jalib
Jaun Eliya
Mohsin Naqvi
Javed Akhtar
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(967) Peoples Rate This
अब लब पे वो हंगामा-ए-फ़रियाद नहीं है
अदा से आड़ में ख़ंजर के मुँह छुपाए हुए
दिल की हर लर्ज़िश-ए-मुज़्तर पे नज़र रखते हैं
होते हैं राज़-ए-इश्क़-ओ-मोहब्बत इसी से फ़ाश
मुस्कुराए वो हाल-ए-दिल सुन कर
कुछ कम तो हुआ रंज-ए-फ़रावान-ए-तमन्ना
क़सम न खाओ तग़ाफ़ुल से बाज़ आने की
तर्क-ए-उम्मीद बस की बात नहीं
न इब्तिदा की ख़बर है न इंतिहा मालूम
दिल सरापा दर्द था वो इब्तिदा-ए-इश्क़ थी
हर तबस्सुम का दिया एक तबस्सुम से जवाब
हम मौत भी आए तो मसरूर नहीं होते