हम हैं उस के ख़याल की तस्वीर
जिस की तस्वीर है ख़याल अपना
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दैर में या हरम में गुज़रेगी
वो जी गया जो इश्क़ में जी से गुज़र गया
जीने की है उम्मीद न मरने का यक़ीं है
तर्क-ए-उम्मीद बस की बात नहीं
दिल की हर लर्ज़िश-ए-मुज़्तर पे नज़र रखते हैं
भर के साक़ी जाम-ए-मय इक और ला और जल्द ला
जुस्तुजू-ए-नशात-ए-मुबहम क्या
क्या बला थी अदा-ए-पुर्सिश-ए-यार
जिस्म-ए-आज़ादी में फूंकी तू ने मजबूरी की रूह
रूह घबराई हुई फिरती है मेरी लाश पर
हासिल-ए-इल्म-ए-बशर जहल का इरफ़ाँ होना
मेरे जुनूँ को ज़ुल्फ़ के साए से दूर रख