अख़्तर अमान कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का अख़्तर अमान
नाम | अख़्तर अमान |
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अंग्रेज़ी नाम | Akhtar Amaan |
तमाम उम्र गुज़र जाती है कभी पल में
हमें हर आने वाला ज़ख़्म-ए-ताज़ा दे के जाता है
बदन के शहर में आबाद इक दरिंदा है
ज़िंदगी की तेज़ इतनी अब रवानी हो गई
ये दिल कहता है कोई आ रहा है
यहाँ मौसम भी बदलें तो नज़ारे एक जैसे हैं
तवील-तर है सफ़र मुख़्तसर नहीं होता
पहले हम इश्क़ किया करते थे
मोहब्बतों में बहुत रस भी है मिठास भी है