ख़बर मफ़क़ूद है लेकिन

ख़बर मफ़क़ूद है लेकिन

लहू में भागती ख़्वाहिश उमीदों के हरे साहिल पे हैराँ है

उसे कश्फ़-ए-सहर जो भी हुआ

सूरज से ख़ाली है

उसे जो रास्ते सौंपे गए तक़्सीम होते ज़ावियों में साँस लेते हैं

खुली आँखों में रौशन

चाँद तारों के चमकने से बहुत पहले

ग़नीम-ए-वुसअ'त-ए-दामाँ

हज़ारों चाह ढूँढ लेता है

ख़बर मफ़क़ूद है लेकिन

हिसार-ए-ज़ात से निकला हुआ जज़्बा

सर-ए-मेहराब-ओ-मिम्बर दार-ओ-मक़्तल तक नहीं आया

हुआ सत्तर क़दम का मर्सिया मैले फटे मल्बूस

घोड़ों के सुमों से मेख़ होती आरज़ू अपनी गवाही किस तरह देगी

मुअय्यन हौसले संदूक़चों में जाँ-ब-लब हैं

और तवाना बाज़ुओं में

चूड़ियों की मिस्ल ज़ंजीर-ए-कुहन आवाज़ देती है

ख़बर मफ़क़ूद है लेकिन

कहो तुम तो कहो जो बात कहना है

(750) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

KHabar Mafqud Hai Lekin In Hindi By Famous Poet Farrukh Yar. KHabar Mafqud Hai Lekin is written by Farrukh Yar. Complete Poem KHabar Mafqud Hai Lekin in Hindi by Farrukh Yar. Download free KHabar Mafqud Hai Lekin Poem for Youth in PDF. KHabar Mafqud Hai Lekin is a Poem on Inspiration for young students. Share KHabar Mafqud Hai Lekin with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.