हम कि साहिल के तसव्वुर से सहम जाते हैं
लोग किस तरह समुंदर में उतरते होंगे
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मैं ऐसा नर्म तबीअत कभी न था पहले
हर एक रात कहीं दूर भाग जाता हूँ
यक़ीन जानिए इस में कोई करामत है
सजा के ज़ेहन में कितने ही ख़्वाब सोए थे
कल तक जो शफ़्फ़ाफ़ थे चेहरे आवाज़ों से ख़ाली थे
तारीकी में नूर का मंज़र सूरज में शब देखोगे
न जाने किस तरह बिस्तर में घुस कर बैठ जाती हैं
रफ़्ता रफ़्ता आँखों को हैरानी दे कर जाएगा
महा-भारत
नए आदमी का कंफ़ेशन
अपनी नज़र में भी तो वो अपना नहीं रहा