Heart Broken Poetry of Ghulam Husain Sajid (page 2)

Heart Broken Poetry of Ghulam Husain Sajid (page 2)
नामग़ुलाम हुसैन साजिद
अंग्रेज़ी नामGhulam Husain Sajid
जन्म की तारीख1951

किस ने दी आवाज़ ''सिपर की ओट में था''

ख़ुदा-ए-बर्तर ने आसमाँ को ज़मीन पर मेहरबाँ किया है

कहीं मोहब्बत के आसमाँ पर विसाल का चाँद ढल रहा है

जहाँ भर में मिरे दिल सा कोई घर हो नहीं सकता

इश्क़ की दस्तरस में कुछ भी नहीं

हुआ रौशन दम-ए-ख़ुर्शीद से फिर रंग पानी का

होंटों पर है बात कड़ी ताज़ीरें भी

इक शम्अ' की सूरत में मंज़ूर किया जाऊँ

एक घर अपने लिए तय्यार करना है मुझे

चराग़-ए-ख़ाना-ए-दिल को सुपुर्द-ए-बाद कर दूँ

चराग़ की ओट में रुका है जो इक हयूला सा यासमीं का

चराग़ की ओट में है मेहराब पर सितारा

अपने अपने लहू की उदासी लिए सारी गलियों से बच्चे पलट आएँगे

अभी शब है मय-ए-उल्फ़त उण्डेलें

आज आईने में जो कुछ भी नज़र आता है

आइने में अक्स खिलता है गुल-ए-हैरत नहीं

आइना-आसा ये ख़्वाब-ए-नीलमीं रक्खूँगा मैं

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