Coupletss of Ghulam Husain Sajid

Coupletss of Ghulam Husain Sajid
नामग़ुलाम हुसैन साजिद
अंग्रेज़ी नामGhulam Husain Sajid
जन्म की तारीख1951

ये सच है मिल बैठने की हद तक तो काम आई है ख़ुश-गुमानी

ये सच है मेरी सदा ने रौशन किए हैं मेहराब पर सितारे

ये आब-ओ-ताब इसी मरहले पे ख़त्म नहीं

उस के होने से हुई है अपने होने की ख़बर

तड़प उठी है किसी नगर में क़याम करने से रूह मेरी

सितारा-ए-ख़्वाब से भी बढ़ कर ये कौन बे-मेहर है कि जिस ने

रुका हूँ किस के वहम में मिरे गुमान में नहीं

रास आती ही नहीं जब प्यार की शिद्दत मुझे

रास आई है न आएगी ये दुनिया लेकिन

नशात-ए-इज़हार पर अगरचे रवा नहीं ए'तिबार करना

मिल नहीं पाती ख़ुद अपने-आप से फ़ुर्सत मुझे

मिरी विरासत में जो भी कुछ है वो सब इसी दहर के लिए है

मेरी क़िस्मत है ये आवारा-ख़िरामी 'साजिद'

मिरे मायूस रहने पर अगर वो शादमाँ है

मता-ए-बर्ग-ओ-समर वही है शबाहत-ए-रंग-ओ-बू वही है

मैं रिज़्क़-ए-ख़्वाब हो के भी उसी ख़याल में रहा

मैं हूँ मगर आज उस गली के सभी दरीचे खुले हुए हैं

मैं एक मुद्दत से इस जहाँ का असीर हूँ और सोचता हूँ

लौट जाने की इजाज़त नहीं दूँगा उस को

किसी ने फ़क़्र से अपने ख़ज़ाने भर लिए लेकिन

किसी की याद से दिल का अंधेरा और बढ़ता है

कभी मोहब्बत से बाज़ रहने का ध्यान आए तो सोचता हूँ

जिस क़दर महमेज़ करता हूँ मैं 'साजिद' वक़्त को

जी में आता है कि दुनिया को बदलना चाहिए

इश्क़ पर इख़्तियार है किस का

इश्क़ पर फ़ाएज़ हूँ औरों की तरह लेकिन मुझे

इश्क़ की दस्तरस में कुछ भी नहीं

इस अँधेरे में चराग़-ए-ख़्वाब की ख़्वाहिश नहीं

हम मुसाफ़िर हैं गर्द-ए-सफ़र हैं मगर ऐ शब-ए-हिज्र हम कोई बच्चे नहीं

हिकायत-ए-इश्क़ से भी दिल का इलाज मुमकिन नहीं कि अब भी

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