देखने सुनने का मज़ा जब है
कुछ हक़ीक़त हो कुछ फ़साना हो
Mohsin Naqvi
Faiz Ahmad Faiz
Rahat Indori
Allama Iqbal
Mir Taqi Mir
Habib Jalib
Ahmad Faraz
Wasi Shah
Javed Akhtar
Anwar Masood
Jaun Eliya
Parveen Shakir
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(577) Peoples Rate This
पेड़ अगर ऊँचा मिलता है
मौजूदगी का उस की असर होने लगा है
मेरी कश्ती को डुबो कर चैन से बैठे न तू
हैं और कई रेत के तूफ़ाँ मिरे आगे
झलकती है मिरी आँखों में बेदारी सी कोई
राह से मुझ को हटा कर ले गया
क़दमों से मेरे गर्द-ए-सफ़र कौन ले गया
एक इक लफ़्ज़ से मअनी की किरन फूटती है
बर्क़ का ठीक अगर निशाना हो
नायाब चीज़ कौन सी बाज़ार में नहीं
अब और देर न कर हश्र बरपा करने में
दिल ने तमन्ना की थी जिस की बरसों तक