Love Poetry of Hadi Machlishahri

Love Poetry of Hadi Machlishahri
नामहादी मछलीशहरी
अंग्रेज़ी नामHadi Machlishahri
जन्म की तारीख1890
मौत की तिथि1961

उस ने इस अंदाज़ से देखा मुझे

बेदर्द मुझ से शरह-ए-ग़म-ए-ज़िंदगी न पूछ

अब वो पीरी में कहाँ अहद-ए-जवानी की उमंग

वो निगाहें जो दिल-ए-महज़ूँ में पिन्हाँ हो गईं

उठने को तो उट्ठा हूँ महफ़िल से तिरी लेकिन

उस बेवफ़ा की बज़्म से चश्म-ए-ख़याल में

तुम्हें भी मालूम हो हक़ीक़त कुछ अपनी रंगीं-अदाइयों की

तू न हो हम-नफ़स अगर जीने का लुत्फ़ ही नहीं

निज़ाम-ए-तबीअत से घबरा गया दिल

महव-ए-कमाल-ए-आरज़ू मुझ को बना के भूल जा

खोया हुआ सा रहता हूँ अक्सर मैं इश्क़ में

हज़ार ख़ाक के ज़र्रों में मिल गया हूँ मैं

दर्द सा उठ के न रह जाए कहीं दिल के क़रीब

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