Ghazals of Hadi Machlishahri
नाम | हादी मछलीशहरी |
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अंग्रेज़ी नाम | Hadi Machlishahri |
जन्म की तारीख | 1890 |
मौत की तिथि | 1961 |
कविताएं
Ghazal 15
Couplets 15
Love 13
Sad 16
Heart Broken 15
Bewafa 5
Hope 12
Friendship 4
Islamic 5
Sufi 2
ख्वाब 2
Sharab 2
ज़बाँ पे हर्फ़-ए-शिकायत अरे मआज़-अल्लाह
वो निगाहें जो दिल-ए-महज़ूँ में पिन्हाँ हो गईं
उठने को तो उट्ठा हूँ महफ़िल से तिरी लेकिन
उस बेवफ़ा की बज़्म से चश्म-ए-ख़याल में
तुम्हें भी मालूम हो हक़ीक़त कुछ अपनी रंगीं-अदाइयों की
तुम अज़ीज़ और तुम्हारा ग़म भी अज़ीज़
तू न हो हम-नफ़स अगर जीने का लुत्फ़ ही नहीं
निज़ाम-ए-तबीअत से घबरा गया दिल
मैं क्या हूँ कौन हूँ ये भी ख़बर नहीं मुझ को
महव-ए-कमाल-ए-आरज़ू मुझ को बना के भूल जा
खोया हुआ सा रहता हूँ अक्सर मैं इश्क़ में
हज़ार ख़ाक के ज़र्रों में मिल गया हूँ मैं
देख कर शम्अ के आग़ोश में परवाने को
दर्द सा उठ के न रह जाए कहीं दिल के क़रीब
अश्क-ए-ग़म उक़्दा-कुशा-ए-ख़लिश-ए-जाँ निकला