तमाम उम्र तिरा इंतिज़ार हम ने किया
इस इंतिज़ार में किस किस से प्यार हम ने किया
Mir Taqi Mir
Allama Iqbal
Anwar Masood
Jaun Eliya
Wasi Shah
Faiz Ahmad Faiz
Rahat Indori
Gulzar
Ahmad Faraz
Javed Akhtar
Habib Jalib
Parveen Shakir
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(874) Peoples Rate This
हम को मंज़िल ने भी गुमराह किया
तिरी तलाश है या तुझ से इज्तिनाब है ये
हर क़दम पर हम समझते थे कि मंज़िल आ गई
ऐसी भी क्या जल्दी प्यारे जाने मिलें फिर या न मिलें हम
मोहब्बत करने वाले कम न होंगे
तमाम उम्र किया हम ने इंतिज़ार-ए-बहार
कहाँ कहाँ न तसव्वुर ने दाम फैलाए
फिर से आराइश-ए-हस्ती के जो सामाँ होंगे
बे-चारगी-ए-हसरत-ए-दीदार देखना
नज़र से हद्द-ए-नज़र तक तमाम तारीकी