फ़ज़ा यूँही तो नहीं मल्गजी हुई जाती
कोई तो ख़ाक-नशीं होश खो रहा होगा
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माएँ बूढ़ी होना भूल चुकी हैं
तिरे गीतों का मतलब और है कुछ
यक़ीन से बाहर बिखरा सच
कौन बदन से आगे देखे औरत को
मोहब्बत पर यक़ीं था जब
प्यार ईसार वफ़ा शेर-ओ-हुनर की बातें
सितारा है कोई गुल है कि दिल है
चोरी की भूक
रात
इक जादूगर है आँखों की बस्ती में
मुझे विर्सा नहीं मिला