सितारा है कोई गुल है कि दिल है
तिरी ठोकर में पत्थर मुख़्तलिफ़ है
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यक़ीन से बाहर बिखरा सच
प्यास दायरा बनाती है
रात
मेरा जी चाहता है
फ़ज़ा यूँही तो नहीं मल्गजी हुई जाती
लड़कियाँ और तितलियाँ
तुम्हारे लब पे थी मैं भी
न जाने कब लिखा जाए
इक जादूगर है आँखों की बस्ती में
तलाक़
उल्टा चक्कर
तिरे गीतों का मतलब और है कुछ