भरवा देना मिरे कासे को
मिरे कासे को भरवा देना
Gulzar
Wasi Shah
Ahmad Faraz
Javed Akhtar
Allama Iqbal
Habib Jalib
Faiz Ahmad Faiz
Jaun Eliya
Rahat Indori
Anwar Masood
Mohsin Naqvi
Mir Taqi Mir
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(787) Peoples Rate This
वो निगह जब मुझे पुकारती थी
बे-सबब हो के बे-क़रार आया
सुब्ह सवेरे नंगे पाँव घास पे चलना ऐसा है
दिल के सूने सहन में गूँजी आहट किस के पाँव की
दिल के सूने सेहन में गूँजी आहट किस के पाँव की
जिस की सौंधी सौंधी ख़ुशबू आँगन आँगन पलती थी
भुला दिया भी अगर जाए सरसरी किया जाए
आँख बीनाई गँवा बैठी तो
हार दिया है उजलत में
बस एक लम्हा तिरे वस्ल का मयस्सर हो
यक़ीन की सल्तनत थी और सुल्तानी हमारी