Heart Broken Poetry of Hasan Nayeem (page 2)
नाम | हसन नईम |
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अंग्रेज़ी नाम | Hasan Nayeem |
जन्म की तारीख | 1927 |
मौत की तिथि | 1991 |
ख़्वाब ठहरा सर-ए-मंज़िल न तह-ए-बाम कभी
ख़्वाब की राह में आए न दर-ओ-बाम कभी
ख़ुर्शीद की निगाह से शबनम को आस क्या
ख़ैर से दिल को तिरी याद से कुछ काम तो है
करें न याद वो शब हादिसा हुआ सो हुआ
करें न याद शब-ए-हादिसा हुआ सो हुआ
जो ग़म के शो'लों से बुझ गए थे हम उन के दाग़ों का हार लाए
जंगलों की ये मुहिम है रख़्त-ए-जाँ कोई नहीं
जादू-ए-ख़्वाब में कुछ ऐसे गिरफ़्तार हुए
जब्र-ए-शही का सिर्फ़ बग़ावत इलाज है
जब कभी मेरे क़दम सू-ए-चमन आए हैं
इश्क़ के बाब में किरदार हूँ दीवाने का
हुस्न के सेहर ओ करामात से जी डरता है
ग़म से बिखरा न पाएमाल हुआ
गया वो ख़्वाब-ए-हक़ीक़त को रू-ब-रू कर के
दिल वो किश्त-ए-आरज़ू था जिस की पैमाइश न की
दिल में उतरोगे तो इक जू-ए-वफ़ा पाओगे
दिल में हो आस तो हर काम सँभल सकता है
बिछ्ड़ें तो शहर भर में किसी को पता न हो
बयान-ए-शौक़ बना हर्फ़-ए-इज़्तिराब बना
आरज़ू थी कि तिरा दहर भी शोहरा होवे
आँखों से टपके ओस तो जाँ में नमी रहे
आँखों में बस रहा है अदा के बग़ैर भी