बारिश Poetry (page 22)
किस शय पे यहाँ वक़्त का साया नहीं होता
अहमद मुश्ताक़
इक फूल मेरे पास था इक शम्अ' मेरे साथ थी
अहमद मुश्ताक़
चाँद इस घर के दरीचों के बराबर आया
अहमद मुश्ताक़
चाँद भी निकला सितारे भी बराबर निकले
अहमद मुश्ताक़
अमल बर-वक़्त होना चाहिए था
अहमद कमाल परवाज़ी
अन-पढ़ गूँगे का रजज़
अहमद जावेद
बारिश का है ऐसा काल
अहमद जावेद
ज़ंजीरों से बँधा हुआ हर एक यहूदी तकता था
अहमद जहाँगीर
मा-बा'द-उत-तबीआत
अहमद हमेश
दर-अस्ल ये नज़्म लिखी ही नहीं गई
अहमद हमेश
अश्लोक
अहमद हमेश
मुज़्तरिब हैं वक़्त के ज़र्रात सूरज से कहो
अहमद हमदानी
दिन से बिछड़ी हुई बारात लिए फिरती है
अहमद फ़रीद
ख़्वाबों के ब्योपारी
अहमद फ़राज़
ऐ मेरे सारे लोगो
अहमद फ़राज़
तुझ से मिल कर तो ये लगता है कि ऐ अजनबी दोस्त
अहमद फ़राज़
सामने उस के कभी उस की सताइश नहीं की
अहमद फ़राज़
रात के पिछले पहर रोने के आदी रोए
अहमद फ़राज़
मुंतज़िर कब से तहय्युर है तिरी तक़रीर का
अहमद फ़राज़
कल हम ने बज़्म-ए-यार में क्या क्या शराब पी
अहमद फ़राज़
जिस्म शो'ला है जभी जामा-ए-सादा पहना
अहमद फ़राज़
जिस सम्त भी देखूँ नज़र आता है कि तुम हो
अहमद फ़राज़
इस क़दर मुसलसल थीं शिद्दतें जुदाई की
अहमद फ़राज़
ऐसा है कि सब ख़्वाब मुसलसल नहीं होते
अहमद फ़राज़
उस लम्हे के लिए मुझे फ़ुर्सत नहीं
अहमद आज़ाद
तुम कहाँ हो
अहमद आज़ाद
नर्म रेशम सी मुलाएम किसी मख़मल की तरह
आग़ाज़ बलडांवी
लुटाते हैं वो बाग़-ए-इश्क़ जाए जिस का जी चाहे
आग़ा हज्जू शरफ़
जंग से जंगल बना जंगल से मैं निकला नहीं
अफ़ज़ाल नवेद
एक उजली उमंग उड़ाई थी
अफ़ज़ाल नवेद