बारिश Poetry (page 21)
शाम आई है लिए हाथ में यादों के चराग़
अजय सहाब
ज़ख़्मों का दो-शाला पहना धूप को सर पर तान लिया
ऐतबार साजिद
सुर्ख़-रू सब को सर-ए-मक़्तल नज़र आने लगे
ऐनुद्दीन आज़िम
ला-मकाँ से भी परे ख़ुद से मुलाक़ात करें
ऐनुद्दीन आज़िम
इक शहर था इक बाग़ था
ऐन ताबिश
बरसात थम चुकी है मगर हर शजर के पास
अहसन यूसुफ़ ज़ई
काग़ज़ की नाव हूँ जिसे तिनका डुबो सके
अहसन यूसुफ़ ज़ई
घर घर आपस में दुश्मनी भी है
अहसन यूसुफ़ ज़ई
काट गई कोहरे की चादर सर्द हवा की तेज़ी माप
अहसन शफ़ीक़
ग़म का पहाड़ मोम के जैसे पिघल गया
अहमद निसार
उम्र का आख़िरी दिन
अहमद ज़फ़र
किसी परिंदे की वापसी का सफ़र मिरी ख़ाक में मिलेगा
अहमद ज़फ़र
दिन हुआ कट कर गिरा मैं रौशनी की धार से
अहमद ज़फ़र
प्यारे प्यारे युगों में आए प्यारे प्यारे लोग
अहमद वसी
कुन-फ़यकूं का हासिल यानी मिट्टी आग हवा और पानी
अहमद शहरयार
ग़म के बादल हैं ये ढल जाएँगे रफ़्ता रफ़्ता
अहमद शाहिद ख़ाँ
दिन को रहते झील पर दरिया किनारे रात को
अहमद राही
दिन गुज़रता है कहाँ रात कहाँ होती है
अहमद राही
अजब तज़ाद में काटा है ज़िंदगी का सफ़र
अहमद नदीम क़ासमी
क़ानून-ए-क़ुदरत
अहमद नदीम क़ासमी
नया साल
अहमद नदीम क़ासमी
अज़ली मसर्रतों की अज़ली मंज़िल
अहमद नदीम क़ासमी
अक़ीदे
अहमद नदीम क़ासमी
खड़ा था कब से ज़मीं पीठ पर उठाए हुए
अहमद नदीम क़ासमी
बारिश की रुत थी रात थी पहलू-ए-यार था
अहमद नदीम क़ासमी
अपने माहौल से थे क़ैस के रिश्ते क्या क्या
अहमद नदीम क़ासमी
मैं बहुत ख़ुश था कड़ी धूप के सन्नाटे में
अहमद मुश्ताक़
गुज़रे हज़ार बादल पलकों के साए साए
अहमद मुश्ताक़
पानी में अक्स और किसी आसमाँ का है
अहमद मुश्ताक़
नाला-ए-ख़ूनीं से रौशन दर्द की रातें करो
अहमद मुश्ताक़