Ghazals of Insha Allah Khan 'Insha' (page 3)

Ghazals of Insha Allah Khan 'Insha' (page 3)
नामइंशा अल्लाह ख़ान
अंग्रेज़ी नामInsha Allah Khan 'Insha'
जन्म की तारीख1753
मौत की तिथि1817
जन्म स्थानLucknow

गाहे गाहे जो इधर आप करम करते हैं

फ़क़ीराना है दिल मुक़ीम उस की रह का

एक दिन रात की सोहबत में नहीं होते शरीक

दीवार फाँदने में देखोगे काम मेरा

दिल-ए-सितम-ज़दा बेताबियों ने लूट लिया

धूम इतनी तिरे दीवाने मचा सकते हैं

देखना जब मुझे कर शान ये गाली देना

दस अक़्ल दस मक़ूले दस मुद्रिकात तीसों

छेड़ने का तो मज़ा जब है कहो और सुनो

चाहता हूँ तुझे नबी की क़सम

भले आदमी कहीं बाज़ आ अरे उस परी के सुहाग से

बस्ती तुझ बिन उजाड़ सी है

बंक की जल्वा-गरी पर ग़श हूँ

बंदगी हम ने तो जी से अपनी ठानी आप की

बात के साथ ही मौजूद है टाल एक न एक

अश्क मिज़्गान-ए-तर की पूँजी है

अमरद हुए हैं तेरे ख़रीदार चार पाँच

अच्छा जो ख़फ़ा हम से हो तुम ऐ सनम अच्छा

आने अटक अटक के लगी साँस रात से

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