Sharab Poetry of Insha Allah Khan 'Insha'
नाम | इंशा अल्लाह ख़ान |
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अंग्रेज़ी नाम | Insha Allah Khan 'Insha' |
जन्म की तारीख | 1753 |
मौत की तिथि | 1817 |
जन्म स्थान | Lucknow |
कविताएं
Ghazal 80
Couplets 33
Love 66
Sad 48
Heart Broken 57
Bewafa 4
Hope 20
Friendship 24
Islamic 27
Sufi 2
Social 3
देशभक्तिपूर्ण 2
बारिश 3
ख्वाब 16
Sharab 20
ज़ोफ़ आता है दिल को थाम तो लो
ये किस से चाँदनी में हम ब-ज़ेर-ए-आसमाँ लिपटे
याँ ज़ख़्मी-ए-निगाह के जीने पे हर्फ़ है
टुक आँख मिलाते ही किया काम हमारा
तुझ से यूँ यक-बार तोड़ूँ किस तरह
तोडूँगा ख़ुम-ए-बादा-ए-अंगूर की गर्दन
तर्क कर अपने नंग-ओ-नाम को हम
सद-बर्ग गह दिखाई है गह अर्ग़वाँ बसंत
नादाँ कहाँ तरब का सर-अंजाम और इश्क़
मुझे क्यूँ न आवे साक़ी नज़र आफ़्ताब उल्टा
मुझे छेड़ने को साक़ी ने दिया जो जाम उल्टा
मिल मुझ से ऐ परी तुझे क़ुरआन की क़सम
मिल गए पर हिजाब बाक़ी है
लब पे आई हुई ये जान फिरे
काश अब्र करे चादर-ए-महताब की चोरी
कमर बाँधे हुए चलने को याँ सब यार बैठे हैं
फ़क़ीराना है दिल मुक़ीम उस की रह का
दीवार फाँदने में देखोगे काम मेरा
बंदगी हम ने तो जी से अपनी ठानी आप की
आने अटक अटक के लगी साँस रात से