था रंग-ए-बहार बे-नवाई कि न था
ज़ाहिर था ज़वाल इंतिहाई कि न था
कह दो ईमान से ईद-गह के अंदर
गर्दिश में था कासा-ए-गदाई कि न था
Javed Akhtar
Habib Jalib
Parveen Shakir
Faiz Ahmad Faiz
Rahat Indori
Wasi Shah
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Gulzar
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ख़ाक नमनाक और ताबिंदा नुजूम
काफ़िर को है बंदगी बुतों की ग़म-ख़्वार
गर रूह न पाबंद-ए-तअ'य्युन होती
रात
छोटे काम का बड़ा नतीजा
मुलम्मा की अँगूठी
कछवा और ख़रगोश
मकशूफ़ हुआ कि दीद हैरानी है
ऐ बार-ए-ख़ुदा ये शोर-ओ-ग़ौग़ा क्या है
अक्सर ने है आख़िरत की खेती बोई
तौहीद की राह में है वीराना-ए-सख़्त
नसीहत