मकशूफ़ हुआ कि दीद हैरानी है
मालूम हुआ कि इल्म नादानी है
डाला है तलाश-ए-क़ुर्ब ने दूरी में
मुश्किल है बड़ी यही कि आसानी है
Mohsin Naqvi
Gulzar
Faiz Ahmad Faiz
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Allama Iqbal
Rahat Indori
Jaun Eliya
Wasi Shah
Parveen Shakir
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जो तेज़ क़दम थे वो गए दूर निकल
या-रब कोई नक़्श-ए-मुद्दआ भी न रहे
क़ल्लाश है क़ौम तो पढ़ेगी क्यूँकर
चक्खी भी है तू ने दुर्द-ए-जाम-ए-तौहीद
इंसाँ को चाहिए न हिम्मत हारे
ऐ बे-ख़बरी की नींद सोने वालो
अब क़ौम की जो रस्म है सो ऊल-जुलूल
बरसात
मजमूआ-ए-ख़ार-ओ-गुल है ज़ेब-ए-गुलज़ार
हवा और सूरज का मुक़ाबला
फ़ितरत के मुताबिक़ अगर इंसाँ ले काम
दुनिया के लिए हैं सब हमारे धंदे