दुनिया के लिए हैं सब हमारे धंदे
ज़ाहिर ताहिर हैं और बातिन गंदे
हैं सिर्फ़ ज़बान से ख़ुदा के क़ाइल
दिल की पूछो तो ख़्वाहिशों के बंदे
Mir Taqi Mir
Gulzar
Jaun Eliya
Wasi Shah
Faiz Ahmad Faiz
Parveen Shakir
Mohsin Naqvi
Javed Akhtar
Ahmad Faraz
Anwar Masood
Allama Iqbal
Habib Jalib
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(730) Peoples Rate This
अस्लाफ़ का हिस्सा था अगर नाम-ओ-नुमूद
दर-अस्ल कहाँ है इख़्तिलाफ़-ए-अहवाल
ढूँडा करे कोई लाख क्या मिलता है
गर जौर-ओ-जफ़ा करे तो इनआ'म समझ
किस तौर से किस तरह से क्यूँ कर पाया
होती नहीं फ़िक्र से कोई अफ़्ज़ाइश
क़ौस-ए-क़ुज़ह
चक्खी भी है तू ने दुर्द-ए-जाम-ए-तौहीद
मजमूआ-ए-ख़ार-ओ-गुल है ज़ेब-ए-गुलज़ार
ऊँट
हक़्क़ा कि बुलंद है मक़ाम-ए-अकबर
अब क़ौम की जो रस्म है सो ऊल-जुलूल