हक़्क़ा कि बुलंद है मक़ाम-ए-अकबर
तौक़ी-ए-सुख़न है अब ब-नाम-ए-अकबर
दीवाँ है लताइफ़-ओ-हिक्म से मामूर
'अकबर' का कलाम है कलाम-ए-अकबर
Allama Iqbal
Gulzar
Javed Akhtar
Mir Taqi Mir
Rahat Indori
Parveen Shakir
Wasi Shah
Mohsin Naqvi
Ahmad Faraz
Jaun Eliya
Habib Jalib
Anwar Masood
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(695) Peoples Rate This
अक्सर ने है आख़िरत की खेती बोई
हवा और सूरज का मुक़ाबला
बा-ईं हमा-सादगी है पुरकारी भी
इक आलम-ए-ख़्वाब ख़ल्क़ पर तारी है
दुनिया के लिए हैं सब हमारे धंदे
करता हूँ सदा मैं अपनी शानें तब्दील
ऐ बार-ए-ख़ुदा ये शोर-ओ-ग़ौग़ा क्या है
हमारी गाय
तेज़ी नहीं मिनजुमला-ए-औसाफ़-ए-कमाल
ऐ बे-ख़बरी की नींद सोने वालो
इसराफ़ से एहतिराज़ अगर फ़रमाते
क़ौस-ए-क़ुज़ह