हर ख़्वाहिश-ओ-अर्ज़-ओ-इल्तिजा से तौबा
हर फ़िक्र से ज़िक्र से दुआ से तौबा
अज़-बस कि मुहाल है समझना उस का
जो आए समझ में उस ख़ुदा से तौबा
Javed Akhtar
Wasi Shah
Allama Iqbal
Gulzar
Faiz Ahmad Faiz
Anwar Masood
Ahmad Faraz
Habib Jalib
Rahat Indori
Mir Taqi Mir
Parveen Shakir
Mohsin Naqvi
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था रंग-ए-बहार बे-नवाई कि न था
ऊँट
मुलम्मा की अँगूठी
बा-ईं हमा-सादगी है पुरकारी भी
साक़ी ओ शराब ओ जाम ओ पैमाना क्या
दुनिया को न तू क़िबला-ए-हाजात समझ
या-रब कोई नक़्श-ए-मुद्दआ भी न रहे
मजमूआ-ए-ख़ार-ओ-गुल है ज़ेब-ए-गुलज़ार
चिड़िया के बच्चे
इसराफ़ से एहतिराज़ अगर फ़रमाते
कहते हैं जो अहल-ए-अक़्ल हैं दूर-अंदेश
मा'लूम का नाम है निशाँ है न असर