मजमूआ-ए-ख़ार-ओ-गुल है ज़ेब-ए-गुलज़ार
नेकी-ओ-बदी है जल्वा-गाह-ए-इज़हार
है मख़्मसा इख़्तियार-ए-हक़्क़-ओ-बातिल
है वसवसा ए'तिबार-ए-यार-ओ-अग़्यार
Anwar Masood
Javed Akhtar
Mir Taqi Mir
Gulzar
Rahat Indori
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दाल की फ़रियाद
क़ल्लाश है क़ौम तो पढ़ेगी क्यूँकर
तक़रीर से वो फ़ुज़ूँ बयान से बाहर
तारीक है रात और दुनिया ज़ख़्ख़ार
जो तेज़ क़दम थे वो गए दूर निकल
कहते हैं सभी मुसदाम अल्लाह अल्लाह
पानी में है आग का लगाना दुश्वार
अफ़्सुर्दगी और गर्म-जोशी भी ग़लत
तौहीद की राह में है वीराना-ए-सख़्त
ईद-ए-रमज़ाँ है आज बा-ऐश-ओ-सुरूर
ईद-ए-क़ुर्बां है आज ऐ अहल-ए-हमम
मुलम्मा की अँगूठी