होती नहीं फ़िक्र से कोई अफ़्ज़ाइश
चुपके रहने में है बड़ी आसाइश
कहना सुनना तो है निहायत आसाँ
कहने सुनने की हो अगर गुंजाइश
Javed Akhtar
Allama Iqbal
Faiz Ahmad Faiz
Mir Taqi Mir
Rahat Indori
Anwar Masood
Habib Jalib
Parveen Shakir
Jaun Eliya
Wasi Shah
Gulzar
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जो चाहिए वो तो है अज़ल से मौजूद
बे-कार न वक़्त को गुज़ारो यारो
काठ की हंडिया चढ़ी कब बार बार
रात
मा'लूम का नाम है निशाँ है न असर
हर ख़्वाहिश-ओ-अर्ज़-ओ-इल्तिजा से तौबा
ऐ बे-ख़बरी की नींद सोने वालो
कहते हैं जो अहल-ए-अक़्ल हैं दूर-अंदेश
फ़ितरत के मुताबिक़ अगर इंसाँ ले काम
है इश्क़ से हुस्न की सफ़ाई ज़ाहिर
गर नेक दिली से कुछ भलाई की है
है शुक्र दुरुस्त और शिकायत ज़ेबा