गर नेक दिली से कुछ भलाई की है
या बद-मंशी से कुछ बुराई की है
अपने ही लिए है सब न औरों के लिए
अपने हाथों ने जो कमाई की है
Jaun Eliya
Gulzar
Parveen Shakir
Anwar Masood
Javed Akhtar
Rahat Indori
Mir Taqi Mir
Mohsin Naqvi
Faiz Ahmad Faiz
Wasi Shah
Habib Jalib
Ahmad Faraz
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चिड़िया के बच्चे
जिस दर्जा हो मुश्किलात की तुग़्यानी
ये मसअला-ए-दक़ीक़ सुनिए हम से
पुर-शोर उल्फ़त की निदा है अब भी
बदला नहीं कोई भेस नाचारी से
मुलम्मा की अँगूठी
बे-कार न वक़्त को गुज़ारो यारो
कैफ़ियत-ओ-ज़ौक़ और ज़िक्र-ओ-औराद
दाल की फ़रियाद
ईद-ए-क़ुर्बां है आज ऐ अहल-ए-हमम
तेज़ी नहीं मिनजुमला-ए-औसाफ़-ए-कमाल
अहमद का मक़ाम है मक़ाम-ए-महमूद