मुनहसिर मरने पे हो जिस की उमीद
ना-उमीदी उस की देखा चाहिए
Jaun Eliya
Allama Iqbal
Rahat Indori
Ahmad Faraz
Parveen Shakir
Anwar Masood
Wasi Shah
Mir Taqi Mir
Gulzar
Habib Jalib
Mohsin Naqvi
Javed Akhtar
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(1794) Peoples Rate This
बाज़ीचा-ए-अतफ़ाल है दुनिया मिरे आगे
सताइश-गर है ज़ाहिद इस क़दर जिस बाग़-ए-रिज़वाँ का
वा-हसरता कि यार ने खींचा सितम से हाथ
फ़रियाद की कोई लय नहीं है
नहीं है ज़ख़्म कोई बख़िये के दर-ख़ुर मिरे तन में
आशिक़ी सब्र-तलब और तमन्ना बेताब
अल्लाह रे ज़ौक़-ए-दश्त-नवर्दी कि बाद-ए-मर्ग
खुलेगा किस तरह मज़मूँ मिरे मक्तूब का या रब
है सब्ज़ा-ज़ार हर दर-ओ-दीवार-ए-ग़म-कदा
दिल-ए-हर-क़तरा है साज़-ए-अनल-बहर
लरज़ता है मिरा दिल ज़हमत-ए-मेहर-ए-दरख़्शाँ पर