वही दिन है हमारी ईद का दिन
जो तिरी याद में गुज़रता है
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किस से आज़ुर्दा मिरे क़ातिल का ख़ंजर हो गया
शिकवा सय्याद का बेजा है क़फ़स में बुलबुल
क़ैद और क़ैद भी तन्हाई की
हर सीना आह है तिरे पैकाँ का मुंतज़िर
ख़ूगर-ए-जौर पे थोड़ी सी जफ़ा और सही
तिश्ना-लब हूँ मुद्दतों से देखिए
हम मआनी-ए-हवस नहीं ऐ दिल हवा-ए-दोस्त
तुझ से क्या सुब्ह तलक साथ निभेगा ऐ उम्र
ख़ाक जीना है अगर मौत से डरना है यही
दौर-ए-हयात आएगा क़ातिल क़ज़ा के ब'अद
क़त्ल-ए-हुसैन अस्ल में मर्ग-ए-यज़ीद है
डर नहीं मुझ को गुनाहों की गिराँ-बारी का