तुझ से क्या सुब्ह तलक साथ निभेगा ऐ उम्र
शब-ए-फ़ुर्क़त की जो घड़ियों का गुज़रना है यही
Gulzar
Rahat Indori
Javed Akhtar
Parveen Shakir
Mohsin Naqvi
Anwar Masood
Allama Iqbal
Jaun Eliya
Mir Taqi Mir
Habib Jalib
Faiz Ahmad Faiz
Wasi Shah
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(2057) Peoples Rate This
बे-ख़ौफ़-ए-ग़ैर दिल की अगर तर्जुमाँ न हो
डर नहीं मुझ को गुनाहों की गिराँ-बारी का
न नमाज़ आती है मुझ को न वज़ू आता है
तौहीद तो ये है कि ख़ुदा हश्र में कह दे
हम मआनी-ए-हवस नहीं ऐ दिल हवा-ए-दोस्त
क़त्ल-ए-हुसैन अस्ल में मर्ग-ए-यज़ीद है
सारी दुनिया ये समझती है कि सौदाई है
किस से आज़ुर्दा मिरे क़ातिल का ख़ंजर हो गया
क़ैद और क़ैद भी तन्हाई की
ख़ाक जीना है अगर मौत से डरना है यही
ख़ूगर-ए-जौर पे थोड़ी सी जफ़ा और सही
हर सीना आह है तिरे पैकाँ का मुंतज़िर