सारी दुनिया ये समझती है कि सौदाई है
अब मिरा होश में आना तिरी रुस्वाई है
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गिला ऐ दिल अभी से करता है
डर नहीं मुझ को गुनाहों की गिराँ-बारी का
क़त्ल-ए-हुसैन अस्ल में मर्ग-ए-यज़ीद है
दिल को हलाक-ए-जल्वा-ए-जानाँ बनाइए
हम मआनी-ए-हवस नहीं ऐ दिल हवा-ए-दोस्त
शिकवा सय्याद का बेजा है क़फ़स में बुलबुल
बे-ख़ौफ़-ए-ग़ैर दिल की अगर तर्जुमाँ न हो
हर सीना आह है तिरे पैकाँ का मुंतज़िर
तुझ से क्या सुब्ह तलक साथ निभेगा ऐ उम्र
वही दिन है हमारी ईद का दिन
न नमाज़ आती है मुझ को न वज़ू आता है
ख़ाक जीना है अगर मौत से डरना है यही